एक दिन मैं भी दुल्हन बनकर जाऊँगी। पर, सदियों पुरानी जंजीरों को, जब मैं तोड़ पाऊँ एक दिन मैं भी दुल्हन बनकर जाऊँगी। पर, सदियों पुरानी जंजीरों को, जब मैं...
31 अक्टूबर को जन्मे, लौह पुरुष कहलाये। 31 अक्टूबर को जन्मे, लौह पुरुष कहलाये।
क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना
कठिनाईयां बहुत है सामने आगे बढ़ने की ताकत दे कठिनाईयां बहुत है सामने आगे बढ़ने की ताकत दे
होड़ा होड़ी का हर लम्हा, यश परचम फहराता है। होड़ा होड़ी का हर लम्हा, यश परचम फहराता है।
प्रेम मन्दिर का हमारा सफर रोमांचक नही रहा। अंत मे हम अपने घर आ गए। प्रेम मन्दिर का हमारा सफर रोमांचक नही रहा। अंत मे हम अपने घर आ गए।